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डॉ शियाली रामामृत रंगनाथन Siyali Ramamrita ranganathan

डॉ शियाली रामामृत रंगनाथन( भारतीय पुस्तकालय आंदोलन के जनक) का जन्म 9 अगस्त 1892 को सियाली (वर्तमान नाम सिरकाज़ी) चेन्नई में हुआ था इनके माता का नाम सीता लक्षमी तथा पिता का नाम रामामृत अययर था। इनका दो विवाह (1907 में रुक्मडी तथा 1929 में शारदा ) हुआ था ।

  12 अगस्त को 1984 से भारत मे लाइब्रेरियन दिवस के रूप में रंगनाथ जी के पुस्तकालय से संबंधित योगदान की याद में मनाया जाता है। (रंगनाथन जी ने अपनी पुस्तक " द फाइव लॉ ऑफ लाइब्रेरी साइंस " मेंअपनी जन्म तिथि 9 अगस्त 1892 लिखी है।)

 मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज (जहाँ उन्होंने 1913 और 1916 में गणित में बी.ए. और एम। ए। की उपाधि ली थी), और टीचर्स कॉलेज, सैदापेट में शिअली में हिंदू हाई स्कूल में मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त की थी। 1917 में वे गवर्नमेंट कॉलेज, मैंगलोर में संकाय में शामिल हुए।  1920 से 1923 तक उन्होंने बाद में गवर्नमेंट कॉलेज, कोयंबटूर और मद्रास विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंसी कॉलेज, 1921-1923 में पढ़ाया। 1924 में उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय का पहला पुस्तकालयाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, और पद के लिए खुद को फिट करने के लिए उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड की यात्रा की। लंदन में रंगनाथन जी के गुरु WC Berwick sayers थे। 1925 से 1944 तक उन्होंने 1925 में मद्रास में नौकरी की और 1944 तक इसे संभाला। 1945 से 1954 तक उन्होंने वाराणसी (बनारस) में हिंदू विश्वविद्यालय में पुस्तकालय विज्ञान और पुस्तकालय प्राध्यापक के रूप में कार्य किया, और 1947 से  1954 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाया।  1954 से 1957 तक वे ज़्यूरिख में शोध और लेखन में लगे रहे। वह बाद के वर्ष में भारत लौटे और 1959 तक उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में सेवा की। 1962 में उन्होंने बैंगलोर में प्रलेखन अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की, जिसके साथ वे बाकी के लिए जुड़े रहे।  उनके जीवन, और 1965 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पुस्तकालय विज्ञान में राष्ट्रीय अनुसंधान प्रोफेसर के खिताब से सम्मानित किया गया था। 

पुस्तकालय के छेत्र में पदम् श्री आवार्ड 1957 में राष्ट्रपति (डॉ राजेन्द्र प्रसाद) द्वारा दिया गया। 
1961 में SRELS ( sarada ranganathan endowment for library science )  की स्थापना की। रंगनाथन जी को राव साहब पुरुस्कार 1935 में प्रदान किया गया। इनको डी लिट की उपाधि पीटर्स बर्ग विश्वविद्यालय द्वारा 1964 में दी गई। तथा मार्गेट मान अवार्ड अमेरिकन लाइब्रेरी संघ द्वारा 1970 में दी गई । ग्रैंड नाईट ऑफ पीस अवार्ड 1971 में मार्क देवें सोसायटी द्वारा प्रदान किया गया। रंगनाथन जी की मृत्यु 27 सितंबर 1972 को बेंगलुरू में हुई थी।
रंगनाथन जी की पुस्तकें
Five Laws of Library Science (1931) 
Colon Classification (1933)
 Classified Catalogue Code (1934)
Prolegomena to Library Classification (1937) 
Theory of the Library Catalogue (1938)
 Elements of Library Classification (1945) 
Classification and International Documentation (1948) 
Classification and Communication (1951)
 Headings and Canons (1955)
New Education and School Library, 1973
 Philosophy of Library Classification, 1950. 
Prolegomena to Library Classification, III ed., 1967. 
Classification and Communication, 1951. 
Documentation: Genesis and Development, 1973.
 Documentation and Its Facets, 1963.
 Library Book Selection, IInd ed., 1966
 Reference Service, IInd ed., 1961.

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एस.आर.  रंगनाथन के अनुसार "संदर्भ सेवा व्यक्तिगत रूप से एक पाठक और उसके दस्तावेजों के बीच संपर्क स्थापित करने की प्रक्रिया है।"  A...