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राष्ट्रीय सुगम्य पुस्तकालय



राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (NIEPVD) एक “राष्ट्रीय सुगम्य पुस्तकालय” भी चलाता है जो दृष्टिबाधित व्यक्तियों, विद्वानों, शोधार्थियों एवं दृष्टि दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्यरत व्यवसायिकों की पठन रुचियों को पूर्ण करने में समर्थ है। पुस्तकालय के तीन पुस्तकालय अनुभागों में मुद्रित ब्रेल एवं ध्वन्यांकित पुस्तकों के रूप में सामान्य एवं विकलांगता संबंधी विषयों से संबंधित समृद्ध साहित्य का भंडार है। वर्ष 1963 में राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ पुस्तकालय की स्थापना की गई, जिसमें से वर्ष 1990 में राष्ट्रीय ध्वन्यांकन पुस्तकालय को अलग किया गया।
                     ये पुस्तकालय लगभग 27,000 सदस्यों को उनके निवास स्थान पर सेवाएँ दे रहा है। दृष्टिबाधित व्यक्तियों की सार्वजानिक पुस्तकालयों एवं अन्य स्थलों पर कम पहुँच को देखते हुए और सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु, ब्रेल एवं ध्वन्यांकन पुस्तकालय ने देश के विभिन्न भागों में पुस्तकालय विस्तार सेवा पटल खोले हैं। अब तक, देश में 103 ब्रेल एवं ध्वन्यांकन पुस्तकालय विस्तार पटल खोले जा रहे हैं

राष्ट्रीय सुगम्य पुस्तकालय – एक दृष्टि में

वर्ष 1963 में राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ पुस्तकालय की स्थापना की गई।पुस्तकालय के भाग : मुद्रण अनुभाग, ब्रेल अनुभाग, ध्वन्यांकन अनुभाग एवं पुस्तकालय विस्तार सेवाएँ तथा परिचालन पुस्तकालय सेवाएँ।ब्रेल पुस्तकालय में उपलब्ध शीर्षक: 17542 (लगभग)पुस्तकालय में उपलब्ध ब्रेल खंड: 1,33,887ब्रेल अनुभाग के सदस्य: 6990ब्रेल अनुभाग के सदस्य (आतंरिक + विस्तार पटल): 13528लाभार्थी: 31,000 लगभगi) ब्रेल एवं विस्तार पटल: 13,528
ii) मुद्रण अनुभाग: 9298
iii) ऑनलाइन पुस्तकालय: 8,174 

ब्रेल पत्रिकाएँ: 20 लगभगमुद्रित पत्रिकाएँ: 26 लगभगस्थानीय सदस्य: 650बाहरी सदस्यों को प्रेषित खंड :650पुस्तकालय विस्तार पटल: 103

reference service

एस.आर.  रंगनाथन के अनुसार "संदर्भ सेवा व्यक्तिगत रूप से एक पाठक और उसके दस्तावेजों के बीच संपर्क स्थापित करने की प्रक्रिया है।"  A...